भारत के लिए एक बुरी खबर है। 26/11 मुंबई आतंकी हमले का आरोपी पाकिस्तानी मूल का कनाडाई व्यवसायी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण पर रोक लगा दी गई है। अमेरिका की एक अदालत ने बाइडन प्रशासन की अपील खारिज करते हुए यह आदेश दिया है।
इसलिए लगी रोक
दरअसल, अमेरिकी शहर कैलिफॉर्निया के सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट के यूनाइटेड स्टेट्स डिस्ट्रिक्ट जज डेल एस फिशर ने दो अगस्त को राणा की बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट याचिका को खारिज कर दिया था। इस आदेश के खिलाफ उसने नौवें सर्किट कोर्ट में अपील की थी कि सुनवाई तक उसे भारत को न सौंपा जाए।
18 अगस्त को नया आदेश
इसी को लेकर, डिस्ट्रिक्ट जज डेल एस. फिशर ने 18 अगस्त को एक नया आदेश जारी किया। उन्होंने कहा कि राणा के प्रत्यर्पण पर रोक लगाने की मांग करने वाले एकतरफा आवेदन को मंजूरी दी जाती है। उन्होंने सरकार की उन सिफारिशों को भी खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि राणा के प्रत्यर्पण पर कोई रोक नहीं होनी चाहिए। न्यायाधीश ने कहा कि राणा के भारत प्रत्यर्पण पर नौवें सर्किट कोर्ट के समक्ष उसकी अपील के पूरा होने तक रोक लगाई जाती है।
यह है पूरा मामला
26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए भीषण आतंकी हमलों में भूमिका को लेकर भारत द्वारा प्रत्यर्पण का अनुरोध किए जाने पर राणा को अमेरिका में गिरफ्तार किया गया था। भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) 2008 में पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों द्वारा किए गए 26/11 के हमलों में राणा की भूमिका की जांच कर रही है। एनआईए ने कि वह राणा को भारत लाने के लिए राजनयिक चैनलों के जरिये कार्यवाही शुरू करने के लिए तैयार है। भारत ने 10 जून, 2020 को प्रत्यर्पण की दृष्टि से 62 वर्षीय राणा की अस्थायी गिरफ्तारी की मांग करते हुए शिकायत दर्ज कराई थी। बाइडन प्रशासन ने राणा के भारत प्रत्यर्पण का समर्थन किया था।
हेडली की मदद की थी
अदालती सुनवाई के दौरान, अमेरिकी सरकार के वकीलों ने तर्क दिया था कि राणा को मालूम था कि उसके बचपन का दोस्त पाकिस्तानी-अमेरिकी डेविड कोलमैन हेडली लश्कर-ए-तैयबा में शामिल है। इसके बावजूद राणा ने हेडली की मदद की। राणा को इस बात की भी जानकारी थी कि हेडली हमले की योजना बना रहा है और इस तरह हेडली की सहायता करके एवं उसकी गतिविधियों के लिए उसे बचाव प्रदान कर उसने आतंकवादी संगठन और इसके सहयोगियों की मदद की।