अगली महामारी किसी चमगादड़ या जानवर से नहीं, बल्कि दुनियाभर में पिघल रही बर्फ से आ सकती है। यह दावा जीव वैज्ञानिक जर्नल ‘प्रोसीडिंग्स ऑफ द रॉयल सोसाइटी बी’ में प्रकाशित एक शोध में किया गया है। दरअसल जलवायु परिवर्तन की वजह से ग्लेशियरों की बर्फ घट रही है, जिसके चलते इसमें जमे वायरस-बैक्टीरिया बाहर आकर फैल सकते हैं।
वायरल स्पिलओवर एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें वायरस को एक नया होस्ट मिलता है। होस्ट इंसान, जानवर, पौधे- कोई भी हो सकता है। वायरस होस्ट को संक्रमित करता है, जिससे महामारी फैलने की आशंका होती है। मिट्टी के जेनेटिक एनालिसिस से पता चला है कि दुनिया में तेजी से बर्फ पिघलने के कारण नए वायरस के फैलने का खतरा है।
33 वायरस तिब्बत के ग्लेशियर में मिले
साल 2021 में एक स्टडी के दौरान वैज्ञानिकों ने 33 वायरस की खोज की थी। ये पिछले 15 हजार साल से बर्फ में जमे थे। इनमें से 28 वायरस एकदम नए थे, यानी इन्हें पहले कभी नहीं देखा गया था। ये सभी तिब्बत के ग्लेशियर से निकले थे। यह ग्लेशियर ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण पिघल गया है।
आर्कटिक के तालाब से लिए गए सैंपल
वायरस दुनिया के हर कोने में हैं। इस शोध के लिए वैज्ञानिकों की टीम ने आर्कटिक सर्कल के सबसे बड़े तालाब लेक हेजन से सैंपल इकट्ठा किए। यह फ्रेशवॉटर लेक कनाडा में स्थित है। इसमें मिलने वाले आरएनए और डीएनए को अब तक मिले वायरस से मैच किया गया।
रिसर्चर्स ने बताया कि ग्लेशियर जैसे-जैसे पिघलेंगे, वैसे-वैसे इनमें मौजूद वायरस बाहर आएंगे और हमें संक्रमित करेंगे। शोध में आर्कटिक के इलाके को इसलिए चुना गया क्योंकि यहां की बर्फ दूसरे बर्फीले इलाकों के मुकाबले ज्यादा रफ्तार से पिघल रही है। यहां का तापमान ज्यादा गर्म है और वायरल स्पिलओवर की आशंका भी ज्यादा है।