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एंटीलिया केस के मुख्य आरोपी सचिन वाझे ने अदालत में उनके ऊपर लगे इल्ज़ामों को नाकारा

मुंबई पुलिस के सस्पेंडेड ऑफिसर सचिन वाझे को 3 अप्रैल तक नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) की कस्टडी में भेज दिया गया है. मुंबई की एनआईए कोर्ट ने ये फैसला दिया. सचिन वाझे पर दो मामलों में आरोप हैं. पहला, मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर विस्फोटक रखने का मामला. दूसरा, विस्फोटक से भरी गाड़ी के मालिक मनसुख हिरेन की हत्या का मामला. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक सचिन वाझे को जब अदालत ने 3 अप्रैल तक की कस्टडी में भेजा तो उन्होंने कोर्ट में कहा –

“मेरा इन अपराधों से कोई वास्ता नहीं है. मुझे बलि का बकरा बनाया जा रहा है. मैंने तो जांच अधिकारी के तौर पर इस केस की डेढ़ दिन जांच की. और सिर्फ मैं ही नहीं, क्राइम ब्रांच और मुंबई पुलिस ने भी की. लेकिन अचानक चीजें बदल गईं.”

वाझे ने उन बातों को भी नकारा, जिनमें कहा गया है कि उसने NIA के सामने अपना गुनाह कुबूल कर लिया है. कोर्ट ने कहा कि वाझे ये बातें लिखित में दें.

वाझे पर UAPA

पहले इस केस की जांच ATS यानी एंटी टेररिज़्म स्क्वॉयड कर रहा था. फिर ये केस NIA को सौंप दिया गया. NIA ने 14 मार्च को सचिन वाझे को गिरफ्तार किया था. वाझे की कस्टडी 25 मार्च को ख़त्म हो रही थी. लेकिन इससे पहले ही NIA ने उन पर UAPA के तहत केस दर्ज कर लिया. इसके बाद अदालत ने उनकी कस्टडी भी बढ़ा दी. UAPA के अलावा वाझे पर जालसाजी, विस्फोटक पदार्थ के साथ लापरवाही बरतने, नकली मुहर बनाने और धमकी देने से संबंधित धाराओं में केस दर्ज हैं.

दोनों पक्ष की दलीलें

इंडिया टुडे के मुताबिक- केस के जांच अधिकारी विक्रम खटाले ने अदालत के सामने कहा-

“जांच के दौरान सचिन वाझे ने कहा है कि वो एक सुपर कॉप बनना चाहते थे. इसीलिए उन्होंने योजना बनाई कि पहले एंटीलिया के सामने विस्फोटक रखे जाएंगे, फिर उन्हें डिटेक्ट करेंगे. ऐसा करके वो नाम कमाना चाहते थे. हम उनके दावों की जांच कर रहे हैं.”

जवाब में वाझे के वकील अबाद पौंडा ने कहा –

“(एंटीलिया के बाहर) जो कुछ पाया गया, वो जिलेटिन की छड़ें थीं. वो विस्फोटक नहीं थे, बम नहीं थे. उन्हें एक्टिवेट करने के लिए डेटोनेटर की ज़रूरत होती है. UAPA लगाने का कोई तुक नहीं है, क्योंकि कुछ भी ऐसा नहीं किया गया, जिसका मकसद किसी समुदाय या देश को चोट पहुंचाने का हो. UAPA सिर्फ कस्टडी बढ़ाने के लिए लगाया गया है.”

बताते चलें कि सचिन वाझे को एक वक्त मुंबई पुलिस सर्किट में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट माना जाता था, एक तेज-तर्रार पुलिस ऑफिसर. 2003 का एक मामला था, ख़्वाजा यूनुस की पुलिस कस्टडी में मौत का मामला. इस मामले में 2004 में सचिन वाझे सस्पेंड हो गए थे. 16 साल का सस्पेंशन झेला. 2020 में सस्पेंशन हटा तो मुंबई पुलिस में वापसी की. लेकिन साल भीतर ही एंटीलिया केस में फिर सस्पेंड हो गए.

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