ट्विटर (Twitter) और मोदी सरकार के बीच तनातनी का दौर जारी है. ट्विटर ने “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए संभावित खतरे” और “पुलिस द्वारा डराने-धमकाने की रणनीति” पर चिंता जताई, तो सरकार ने उसे खरी-खरी सुना दी. 27 मई को मोदी सरकार की मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड आईटी ने एक रिलीज जारी की और ट्विटर से सभी नियम मानने को कहा. मिनिस्ट्री ने उदाहरण सहित यह भी बताया कि ट्विटर किस तरह फैसले लेने में दोहरे मानक अपना रहा है. आइए जानते हैं कि सरकार ने ट्विटर को क्या हिदायत दी है.
ट्विटर ने ‘आजादी’ का सवाल उठाया
ट्विटर ने 27 मई को नए आईटी नियमों को लेकर पहली बार प्रतिक्रिया दी थी. उसने सरकार के बनाए नियमों को मानने पर हामी जरूर भरी, लेकिन साथ में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सवाल भी उठा दिया. पुलिस पर डराने-धमकाने की रणनीति अपनाने का आरोप लगाते हुए चिंता जताई. ट्विटर ने कहा कि वह मौजूदा कानून का पालन करने का प्रयास करेगी. हालांकि, नए नियमों के उन प्रावधानों में बदलाव के लिए कहा जो कथित तौर पर ‘मुक्त और खुली बातचीत’ के आड़े आते हैं. ट्विटर का ये स्टेटमेंट दिल्ली पुलिस की उस कार्रवाई के बाद आया है, जिसमें पुलिस ट्विटर के गुरूग्राम और लाडो सराय स्थित ऑफ़िस पहुंच गई थी.
27 मई की शाम को ही इस पर भारत सरकार ने प्रतिक्रिया दी. उसने ट्विटर से साफ कहा कि वह देश के नियम-कायदे के हिसाब से ही चले. इधर-उधर की बातें न करे. देश के कानून का पालन करे. सरकार के मुताबिक, कानून और नीतियां बनाना सरकार का काम है. ट्विटर मात्र एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है. उसे यह अधिकार नहीं कि वह बताए कि पॉलिसी कैसी होनी चाहिए. सरकार ने यह भी कहा कि ट्विटर के आरोप पूरी तरह से आधारहीन और सरकार को बदनाम करने वाले हैं. ट्विटर को किसी भी कर्मचारी को डरने की जरूरत नहीं है.
सरकार ने उदाहरण देकर खरी-खरी सुनाई
सरकार ने न सिर्फ ट्विटर को अपने काम से काम रखने की हिदायत दी, बल्कि उदाहरण समेत समझाया कि वह जिन मानकों की बात करता है, उस पर खुद ही खरा नहीं उतरता. सरकार ने कहा-
# ट्विटर कहता है कि वह भारत की जनता को लेकर प्रतिबद्ध है. लेकिन हाल के वक्त में ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला है.
# ट्विटर ने भारत के इलाके लद्दाख की जियो लोकेशन को चीन में दिखाया. यह वह संवेदनशील वक्त था जब भारत और चीन अपने सीमा विवाद को शांतिपूर्ण ढंग से निपटाने की कोशिश कर रहे थे. ट्विटर से इस गलती को सुधारने के लिए बार-बार कहा गया. तब कहीं जाकर उसने इस पर ध्यान दिया.
# ट्विटर ने अमेरिका के कैपिटल हिल में हुई हिंसक घटना पर स्वतः संज्ञान लेकर यूजर्स पर एक्शन लिया. लेकिन इसके कुछ दिन बाद ही जब भारत में लाल किले पर ऐसी ही घटना हुई तो ट्विटर ने एक्शन लेने से मना कर दिया. सरकार ने ट्विटर से ऐसे यूजर्स के कंटेंट को ब्लॉक करने के लिए कहा जो नरसंहार की झूठी खबरें फैलाकर हिंसा भड़काना चाहते थे. बाद में ट्विटर ने यह बात मानी लेकिन वह भी आंशिक तरीके से. हालांकि तब तक नुकसान हो चुका था.
# ट्विटर ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई, जिसकी वजह से भारतीयों और भारत के बारे में झूठ और भ्रामक खबरें फैलीं. वैक्सीन को लेकर ट्विटर पर तरह-तरह के भ्रम फैलाए गए, लेकिन ट्विटर ने उस पर कोई एक्शन नहीं लिया. क्या यही ट्विटर की भारत के लोगों के प्रति प्रतिबद्धता है?
# भारत और भारत के लोगों के प्रति भेदभावपूर्ण बर्ताव किया गया. कोरोना वायरस के स्ट्रेन B.1.617 को ‘भारतीय स्ट्रेन’ कहकर टैग किया गया, जबकि ऐसा न करने को लेकर WHO ने सख्त नियम-कायदा बना रखा है. एक बार फिर ट्विटर ने इस दुष्प्रचार पर कोई एक्शन नहीं लिया. ऐसा करने के बावजूद ट्विटर भारत के लोगों का पक्ष लेने के महान दावे कर रहा है.
मोदी सरकार ने ट्विटर से यह भी पूछा कि अगर वह भारत को लेकर इतना ही प्रतिबद्ध है तो उसने अब तक लोकल अधिकारी (ग्रीवांस रिड्रेसल और चीफ कंप्लायंस ऑफिसर) की नियुक्ति क्यों नहीं की? सरकार ने कहा कि जब भी ट्विटर इंडिया से कोई एक्शन लेने को कहा जाता है तो वह इसकी जिम्मेदारी अमेरिकन ऑफिस पर डाल देता है. इससे पता चलता है कि ट्विटर भारत के लोगों के प्रति जिस कमिटमेंट की बात करता है, वह पूरी तरह से खोखला है.