उत्तराखंड राज्य का टिहरी गढ़वाल जनपद अक्सर ही कुछ अवैध मस्जिदों के निर्माण के कारण चर्चा में रहता आया है। लेकिन इन वैध/अवैध मस्जिदों से भी बड़ी पहचान यहाँ पर बना सुमन सागर है, जिसे दुनिया टिहरी बाँध के नाम से भी जानती है। इसी टिहरी बाँध को विकसित करने के लिए टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड (टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड) का गठन जुलाई, 1988 में किया गया था। इसी के अंतर्गत आने वाली एक जामा मस्जिद लम्बे समय से विवाद का विषय बनी हुई है।
समय के साथ टिहरी बाँध निर्माण की जटिल प्रक्रिया भी पूरी हो गई और एक महान विरासत के अंत की कीमत पर देश को एक बाँध मिला, जिससे बिजली उत्पादन भी होने लगा। यह प्रक्रिया बेहद जटिल थी। जटिल इसलिए क्योंकि इसके लिए कई किलोमीटर के दायरे को पूरी तरह विस्थापित करना पड़ा। विस्थापन सिर्फ घर और खेतों का ही नहीं हुआ, बल्कि मंदिर और मस्जिदों के साथ ही तमाम धार्मिक जगहों का भी किया गया था।
अब सवाल ये है कि पुरानी टिहरी से विस्थापन नीति के तहत जब मंदिर-मस्जिद का विस्थापन कर दिया गया था तो अब THDC क्षेत्र में जामा मस्जिद का क्या काम रह गया है? खासकर तब, जब कि यह आए दिन किसी नए विवाद को जन्म दे रहा हो। यही सवाल टिहरी के विधायक और भाजपा नेता धन सिंह नेगी (Dhan Singh Negi) निरंतर THDC से भी पूछते आ रहे हैं। बकौल भाजपा नेता धन सिंह नेगी, उनके तमाम विरोध और आपत्तियों के बावजूद THDC अभी तक भी इस अवैध मस्जिद को हटाने के लिए कोई कदम नहीं उठा रहा है और यही नहीं, इसे बिजली और पानी भी उपलब्ध करा रहा है।
ऑपइंडिया से बात करते हुए विधायक धन सिंह नेगी ने कहा कि वह लम्बे समय से इस मस्जिद को लेकर अपनी आपत्ति दर्ज करा रहे हैं लेकिन THDC इस पर संज्ञान नहीं ले रहा है। जबकि प्रशासन का कहना है कि यह जमीन THDC की सम्पत्ति है और इस पर बनी हुई जामा मस्जिद पर कोई भी अंतिम फैसला उन्हें ही लेना होगा।
भाजपा विधायक धन सिंह नेगी ने मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर दिसंबर, 2020 में टिहरी-घनसाली रोड स्थित खांडखाला में THDC के अंतर्गत आने वाली जामा मस्जिद को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी। इस शिकायत में कहा गया था कि इस जमीन पर जितने भी धार्मिक स्थल थे, जिनमें कि मस्जिद भी शामिल थीं, उनका विस्थापन पुनर्वास नीति 1998 के अंतर्गत किया जा चुका है और पुरानी टिहरी से विस्थापित करने के बाद नई टिहरी में इन विस्थापित सम्पत्तियों का निर्माण किया जा चुका है।
साथ ही, यह भी शिकायत दर्ज की गई कि THDC (जेपी कम्पनी) के मालिक केके अग्रवाल के पास मस्जिद स्थापित करने के राज्य सरकार की तरफ से अधिकृत अधिकारी भी नहीं थे, ना ही जमा मस्जिद निर्माण के संदर्भ में किसी प्रकार की आपसी सहमति और समुदाय के साथ बैठक का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड मौजूद है।
दिसंबर 10, 2020 को जिलाधिकारी कार्यालय से एक पत्र THDC को इस जामा मस्जिद के सम्बन्ध में भेजा गया। जिसके अनुसार, यह मस्जिद टिहरी विस्थापन से पूर्व दोबाटा के समीप वर्ष 1990 में स्थापित की गई और उसके बाद जेपी कम्पनी (THDC) के मालिक केके अग्रवाल के साथ जामा मस्जिद के पदाधिकारियों की भी बैठक के बाद आपसी समझौते से इस जामा मस्जिद की स्थापना की हुई थी। तभी से अब तक जामा मस्जिद में आसपास के मुस्लिम समुदाय के लोग जुम्मे की नमाज अदा करते आ रहे हैं।
पत्र के अनुसार, पुरानी टिहरी में चली आ रही मस्जिद को THDC के द्वारा आपसी सहमति के आधार पर अस्थाई रूप से खांडाखाल नामक जगह पर संचालित किया गया। इस जामा मस्जिद को हटाने के सम्बन्ध में उप जिलाधिकारी द्वारा भी यह सुझाव दिया गया कि इसके लिए पहले THDC को सूचित करना आवश्यक होगा।
इस शिकायत के उत्तर में THDC की ओर से दिसंबर 24, 2020 को कहा गया कि जिस सम्पत्ति अर्थात जामा मस्जिद के सम्बन्ध में शिकायत दर्ज की गई थी, वह अवैध पाई गई है। हालाँकि, THDC ने अपनी जिम्मेदारी से किनारा करते हुए अपने जवाब में यह भी जोड़ दिया कि THDC के लिए इस पर कोई भी कार्रवाई कर पाना संभव नहीं है और वह प्रशासन के साथ सहयोग करने के लिए भी राजी है।
हमने जब मंगलवार (जनवरी 19, 2021) शाम टिहरी की जिलाधिकारी से इस सम्बन्ध में बात की तो उन्होंने बताया कि इस पर THDC को ही आखिरी फैसला लेना होगा क्योंकि यह जामा मस्जिद उनकी जमीन पर है। उन्होंने कहा कि प्रशासन सिर्फ इतना कर सकता है कि यदि उन्हें इस अवैध मस्जिद को हटाने में किसी भी प्रकार की सहायता चाहिए तो प्रशासन उन्हें वो सहायता और पुलिस बल उपलब्ध कराएगा।
वहीं, भाजपा विधायक धन सिंह नेगी का कहना है कि वो इस सम्बन्ध में जिलाधिकारी और एसडीएम से फिर बात करेंगे और अपनी आपत्ति जाहिर करेंगे कि लगातार विवाद का विषय रहने वाली इस अवैध जामा मस्जिद को हटाने के लिए यदि वो निर्णय लेने में देर करते हैं और इस बीच किसी प्रकार कि कोई अप्रिय घटना घटती है तो फिर इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा?