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टॉम ऑल्टर एक विदेशी जो बना पक्का हिंदुस्तानी अभिनेता

जो लोग टॉम ऑल्टर से अनजान हैं, वो उनके बारे में बस इतना जानते हैं कि ये शख्स वो विदेशी था, जो हिंदी बहुत अच्छी बोलता था. टॉम उतने ही भारतीय थे, जितने कि हम और आप. बल्कि हम में से कई लोगों से ज़्यादा. टॉम ने 300 से ज़्यादा फ़िल्मों और टीवी सीरियल्स में काम किया.

1993 से लेकर 1997 तक चले सीरियल ‘ज़ुबान संभाल के’ में इन्होंने एक ब्रिटिशर का रोल किया था, जो इंडिया में रहकर एक जगह हिंदी सीखने जाता था. लेकिन इनके रोल महज़ अंग्रेज़ बनने तक सीमित नहीं थे. इनका सीरियल ‘जुनून’ 8-9 साल तक चला था. इसमें इनका कैरेक्टर केशव कलसी का था जो एक पंजाबी था. राज कपूर द्वारा निर्देशित और निर्मित फ़िल्म ‘राम तेरी गंगा मैली हो गई’ में इन्होंने हीरोइन मंदाकिनी के भाई का किरदार निभाया था. प्ले में ‘मौलाना अबुल आज़ाद’ का किरदार भी निभाया करते थे. टॉम की हिंदी, उर्दू और अंग्रेज़ी पर गज़ब की पकड़ थी.

इसके साथ ही टॉम को क्रिकेट देखने, खेलने और इसके बारे में लिखने का बहुत शौक था. सचिन तेंदुलकर का सबसे पहला वीडियो इंटरव्यू इन्होंने ही लिया था. तारीख थी 19 जनवरी 1989. सचिन तब 15 साल के थे.

1. 22 जून 1950 को टॉम ऑल्टर का जन्म एक अमेरिकी क्रिश्चियन मिशनरी परिवार में हुआ. नवंबर, 1916 में टॉम ऑल्टर के दादा-दादी अमेरिका के ओहायो स्टेट से भारत आए थे. सबसे पहले प्लेन से मद्रास आए. फिर वहां से ट्रेन से लाहौर पहुंचे. ये लोग मिशनरी थे. सबसे पहले रावलपिंडी, पेशावर, सियालकोट इलाके में काम करना शुरू किया. टॉम के पिता की पैदाइश सियालकोट की है.

2. आज़ादी के बाद परिवार में भी बंटवारा हुआ. टॉम के दादा-दादी पाकिस्तान में रहे, माता-पिता हिंदुस्तान में. पिता परिवार समेत सबसे पहले इलाहाबाद रहे, फिर सहारनपुर, फिर जबलपुर और अंत में देहरादून और मसूरी के बीच एक जगह है राजपुर वहां. इनकी स्कूलिंग मसूरी के वुड्सटॉक स्कूल से हुई. पांच पुश्तों से टॉम का परिवार हिंदुस्तान में रह रहा है.

3. ये तीन भाई-बहन थे. बड़ी बहन मार्था, फिर भाई जॉन. टॉम सबसे छोटे थे. इनके दोनों भाई-बहन अभी जीवित हैं. परिवार में इनकी पत्नी कैरल, बेटा जेमी और बेटी अफशां हैं.

4. 1954 में टॉम का परिवार राजपुर आ गया था. तब ये शांत इलाका था. यहां आबादी कम थी. चारों ओर जंगल था. मंदिर और आश्रम थे. टॉम का 1954 से 1968 तक का समय राजपुर और मसूरी में बीता.

5. इलाहाबाद में इनके पिता इविंग क्रिश्चियन कॉलेज में हिस्ट्री और इंग्लिश पढ़ाते थे. सहारनपुर में मज़हबी पढ़ाई कराते थे, जहां ये दो साल रहे. टॉम 14 साल राजपुर रहे. ये बचपन से पादरियों से घिरे रहे. दादाजी, पिता, चाचा, नाना और ससुरजी भी पादरी. बचपन में खाने की मेज़ पर बड़ों की देश के बारे में बातचीत होती थी, तो सुनते थे. अमेरिकी सियासत और हिंदुस्तानी सियासत में क्या अंतर हैं. बंटवारा क्यों हुआ. होना सही था या नहीं, ऐसी बातचीत हुआ करती थी.

6.उस वक़्त टीवी नहीं था. घर से सिनेमाघर भी दूर देहरादून में था. महीने में एक बार सिनेमा देखने जाया करते थे. राजपुर में आज भी आश्रम और मंदिर बहुत हैं. ‘टॉम 8-9 साल के रहे होंगे, तब उन्होंने अपने पापा से पूछा था, ‘इस जगह पर इतने मंदिर और आश्रम क्यों हैं और आपने भी मसीह ध्यान केंद्र आकर यहीं क्यों खोल दिया? पिता ने बेटे टॉम को बताया, ‘ये हिस्सा बहुत पवित्र है. एक तरफ़ 25 मील दूर गंगा बहती है और दूसरी तरफ़ 25 मील यमुना बहती है. राजपुर दो महान नदियों के बिलकुल बीचों-बीच है. इसीलिए ये जगह पवित्र है.

7.टॉम कॉलेज के लिए अमेरिका की येल यूनीवर्सिटी गए थे. वो अपने इंटरव्यूज़ में बताया करते थे कि वहां पढ़ाई बहुत सख्त थी औऱ रोज़ाना 8-9 घंटे पढ़ाई करना उनके बस का नहीं था. एक साल में वापस इंडिया आ गए. पिता ने वापस आने पर इनके लिए टीचर की नौकरी खोज रखी थी. जगाधरी, हरियाणा के सेंट थॉमस स्कूल में. 19 साल की उम्र में बिना ट्रेनिंग के टीचर बन गए. चाचा वुडस्टॉक स्कूल में प्रिंसिपल थे. कुछ दिन वहां भी काम किया. फिर वापस अमेरिका गए. वहां अस्पताल में काम किया. फिर चाचा ने बुला लिया. ढाई साल तक ऐसे ही नौकरियां की.

8.सन 1970 में जगाधरी में राजेश खन्ना की फ़िल्म ‘आराधना’ देखी. फ़िल्म बहुत अच्छी लगी. उसी वक़्त एक्टर बनने का ख़याल उठना शुरू हुआ. दो साल बाद भारतीय फिल्म और टेलिविज़न संस्थान(FTII), पुणे जॉइन किया. साल 1972 से लेकर 1974 तक वहीं रहे. यहां रोशन तनेजा इनके गुरु थे. टॉम कहते थे, ‘मैं इस एक्टिंग इस्टिट्यूट न जाता तो आज मुझे कोई न जानता.’ यहां नसीरुद्दीन शाह और ओम पुरी इनके जूनियर थे और शबाना आज़मी इनकी सीनियर. FTII में क्रिकेट के कैप्टन रहे दो साल तक. नसीर भी इनके साथ खूब क्रिकेट खेलते थे. साल 1979 में नसीर के साथ मिलकर टॉम ने मोटली थियेटर ग्रुप भी खोला.

9. टॉम ने जगाधरी में सिर्फ़ 6 महीने तक नौकरी की थी. यहां जगाधरी टॉकीज़ था, जहां सिर्फ़ हिंदी फ़िल्में चलती थीं और इन्हें तब अंग्रेज़ी फ़िल्में देखने का शौक था. फिर भी फ़िल्में देख आते थे. जगाधरी में इन्हें नया-नया प्यार हुआ था. उन्हें लेकर हीरो देव कुमार की फ़िल्म ‘मेरे लाल’ देखने गए. फ़िल्म कम देखी और अपने नए प्यार को ज़्यादा ताड़ा. फ़िल्में करते हुए एक साल हुआ होगा, इनकी मुलाकात इसी फ़िल्म के हीरो देव कुमार से हुई. टॉम ने उनसे कहा, ‘मैंने आपकी फ़िल्म ‘मेरे लाल’ देखी है. बहुत बढ़िया फ़िल्म है.’ इस पर देव ने उनसे पूछ लिया कि क्या सबसे अच्छा लगा था फ़िल्म में? टॉम वहां से खिसक लिए. अब फ़िल्म देखी होती तो पता होता!

10. एक्टर, लेखक और पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित टॉम ऑल्टर का 29 सितंबर, 2017 को 67 साल की उम्र में देहांत हो गया. वो स्किन कैंसर की लास्ट स्टेज पर थे.

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