प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को दो दिनों के बांग्लादेश यात्रा पर राजधानी ढाका पहुँच रहे हैं. प्रधानमंत्री का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों को लेकर बांग्लादेश में निराशा बढ़ी है.
अख़बार इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार प्रधानमंत्री बांग्लादेश की आज़ादी के 50 वर्ष पूरे होने पर होने वाले समारोह में शामिल होंगे. इसके अलावा वो बांग्लादेश के राष्ट्रपति शेख़ मुजीबुर्रहमान की 100वीं जयंती पर होने वाले कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे.
भारत के प्रधानमंत्री के बांग्लादेश दौरे पर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख़ हसीना के विदेश मामलों के सलाहकार गौहर रिज़वी ने इंडियन एक्सप्रेस से ख़ास बातचीत में कहा कि उनका देश अपने सबसे महत्वपूर्ण पड़ोसी देश भारत की क़ीमत पर चीन से रिश्ते क़ायम करने में यक़ीन नहीं रखता.
गौहर रिज़वी ने कहा, “बांग्लादेश का चीन से ऐसा रिश्ता नहीं है कि इससे भारत से उसके संबंधों पर असर पड़े.”
उन्होंने कहा कि चीन के साथ बांग्लादेश के संबंध सिर्फ़ निवेश और विकास योजनाओं तक सीमित हैं.
गौहर रिज़वी ने कहा, ”इसमें भी बांग्लादेश इस बात का ध्यान रखता है कि ऐसी स्थिति न बने कि हमलोग इतना क़र्ज़ ले लें कि हम उसे चुका नहीं सकें. हम लोगों ने श्रीलंका से सीख ली है.”
एनआरसी के मुद्दे पर गौहर रिज़वी ने कहा कि यह भारत का आंतरिक मामला है.
उन्होंने कहा, “हम इस मामले में दख़ल क्यों देंगे या इसे अपने द्विपक्षीय संबंधों में क्यों उठाएंगे? अगर एक छोटी सी संख्या, जैसा कि दावा किया जा रहा है बांग्लादेशी निलकती भी है तो बहुत स्वाभाविक है कि उनका असल घर बांग्लादेश होगा. हम लोग उन्हें वापस ले लेंगे. लेकिन हम उन्हें तभी वापस लेंगे जब हमलोग पूरी तरह आश्वस्त हो जाएंगे, जैसा कि सामान्य तरीक़ा है.”
इसके साथ ही गौहर रिज़वी ने यह उम्मीद भी जताई कि भारत कोई भी क़दम बलपूर्वक नहीं उठाएगा. उनका कहना था, “मैं सोच भी नहीं सकता कि भारत ज़बरदस्ती वो करेगा जो म्यांमार कर रहा है, लोगों को बेवतन कर रहा है. यह भारत के काम करने का तरीक़ा नहीं है.”