इस्राइल और हमास के बीच युद्ध जारी है, जिसमें अब तक 6500 लोगों की मौत हो चुकी है। इस बीच संयुक्त राष्ट्र परिषद में भारत ने अपना पक्ष रखा। यूएन में भारत के उप-स्थाई प्रतिनिधि आर रविंद्र ने बैठक के दौरान नागरिकों के जीवन पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि भारत बिगड़ती सुरक्षा स्थिति और संघर्ष में नागरिकों के जीवन के बारे में चिंतित है। हम इस्राइल पर हुए हमले की निंदा करते हैं।
लोगों के प्रति हमारी संवेदनाएं हैं
राजदूत आर रविंद्र ने आगे बताया कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले वैश्विक नेताओं में से एक थे, जिन्होंने निर्दोष लोगों के जीवन को लेकर चिंता जाहिर की और संवेदनाएं व्यक्त कीं। भारत संकट के इस काल में इस्राइल के साथ खड़ा है। आतंकियों का सामना करने वाले लोगों के प्रति हमारी संवेदनाएं हैं। हम घायलों के जल्द ठीक होने की कामना करते हैं। दोनों पक्षों के नागरिकों के बारे में चिंतित होना चाहिए। हमें महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के बारे में तो सोचना ही चाहिए।
भारत ने 38 टन मानवीय समान भेजा
उन्होंने कहा, भारत इस्राइल के साथ खड़ा है और फलस्तीन के निर्दोष लोगों की चिंता करता है। फलस्तीनी लोगों के लिए भारत ने दवाइयों और खाद्य सामग्री सहित 38 टन मानवीय सहायता भेजी है। भारत ने हमेशा दो देश समाधान का समर्थन किया है। इस चुनौतीपूर्ण समय में भारत फलस्तीन के लोगों को मानवीय सहायता भेजना जारी रखेगा। उन्होंने कहा कि अनुकूल परिस्थितियां बनाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए।
खुद की रक्षा करने का अधिकार
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन मंगलवार को सुरक्षा परिषद की मंत्रीस्तरीय बैठक में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने मध्य पूर्व की स्थिति पर अपना पक्ष रखा। बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि किसी भी राष्ट्र को खुद की रक्षा करने का अधिकार है और हमें इसकी पुष्टि करनी चाहिए। हम अपने लोगों के वध को बर्दाश्त नहीं कर सकते। ब्लिंकन ने हमास हमलों और मुंबई हमले के बीच समानता बताई।