सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्रीय पर्यावरण- वन मंत्रालय और महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी किया है। ये नोटिस इस संदर्भ में है कि क्योंकि इसमें बताया गया है कि सहारा समूह (एसआईसीसीएल) का वर्सोवा प्लॉट आंशिक रूप से या पूरी तरह से मैंग्रोव वन क्षेत्र हो सकता है। इसके लिए कोर्ट ने संबंधित सरकारों से कहा है कि वे वर्सोवा प्लॉट के बारे में विस्तृत जानकारी कोर्ट को दें कि यह मैंग्रोव भूमि है या नहीं और अगर है, तो किस हद तक।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि वर्सोवा प्लॉट को कैसे बेचा जा सकता है, यह तय करने के लिए सहारा समूह के दो अधिकारी, सेबी के दो अधिकारी और मुंबई के दो संपत्ति विशेषज्ञों की एक बैठक हो। इसके साथ ही, बोलीदाताओं को लिखित रूप में अपने प्रस्ताव देने की अनुमति दी गई है, ताकि इस प्लॉट के लिए अधिकतम मूल्य प्राप्त किया जा सके। हालांकि मामले में सहारा समूह ने कोर्ट को बताया कि उसे इस प्लॉट के लिए 8,000 करोड़ रुपये का संयुक्त उद्यम प्रस्ताव मिला है और अन्य बोलीदाता भी इसे सीधे बिक्री के माध्यम से खरीदने का प्रस्ताव दे रहे हैं।
बता दें कि इससे पहले, सितंबर 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को वर्सोवा प्लॉट के विकास के लिए बोलीदाताओं के प्रस्तावों की जांच करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने सहारा समूह को निवेशकों का पैसा लौटाने के लिए अपनी संपत्तियां बेचने की अनुमति दी थी, जिसमें 25,000 करोड़ रुपये में से 10,000 करोड़ रुपये का भुगतान करना था।