काबुल के मुद्दे पर सोमवार को संयुक्त राष्ट्र की आपात बैठक होने वाली है। इस बैठक का सबसे अहम मुद्दा काबुल को सेफ जोन या सुरक्षित क्षेत्र घोषित करना है। ऐसा वहां पर मानवीय सहायता पहुंचाने के मकसद से किया जा सकता है। इसका प्रस्ताव आज की बैठक फ्रांस और ब्रिटेन रखेंगे। फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रों ने साफ कर दिया है कि वो इस बैठक में काबुल को सेफ जोन घोषित किए जाने का प्रस्ताव रखेंगे। एक अखबार ले जनरल डु दिमांचे से हुई बातचीत के दौरान उन्होंने इस मुद्दे पर अपना पक्ष सार्वजनिक किया है। उन्होंने कहा है कि इस बैठक में उनका केवल एक ही मकसद है कि काबुल को सुरक्षित जोन घोषित किया जाए।
मैक्रों ने इसके पीछे की वजह बताते हुए कहा है कि यहां के जरिए ही मानवीय सहायता के काम किए जा सकते हैं। इस लिहाज से ये बेहद जरूरी है। उन्होंने अपने इस बयान की पुष्टि इराक के शहर मोसुल में भी की है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि उनके इस प्रस्ताव को सभी देशों की तरफ से सहमति भी मिल जाएगी। मैक्रों ने कहा कि उन्हें नहीं लगता है कि अफगानिस्तान में मानवीय सहायता पहुंचाने की कवायद पर किसी तरह से कोई अड़ंगा लगाएगा।
आपको बता दें कि अफगानिस्तान के मुद्दे पर सोमवार को होने वाली इस आपात बैठक का आयोजन संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतेरस ने ही किया है। इस बैठक में ब्रिटेन, फ्रांस, अमेरिका, चीन और रूस हिस्सा लेंगे। इन सभी सदस्यों के पास वीटो पावर है। फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ये भी साफ कर चुके हैं कि काबुल में मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए वो तालिबान से प्रारंभिक स्तर की बातचीत भी कर रहे हैं। इसके अलावा फ्रांस वहां से आने की इच्छा रखने वालों को भी निकालने का प्रयास कर रहा है।
गौरतलब है कि 15 अगस्त को तालिबान ने काबुल पर कब्जा किया था। इसके बाद से ही वहां के लोग असमंजस की स्थिति में हैं। सैकड़ों की संख्या में लोग तभी से काबुल एयरपोर्ट पर मौजूद हैं। वहां मौजूद हर इंसान जल्द से जल्द काबुल को छोड़ देना चाहता है। अमेरिका, आस्ट्रलिया, फ्रांस और भारत इन लोगों को विमानों से सुरक्षित जगहों पर पहुंचा भी रहे हैं। 31 अगस्त तक अमेरिका समेत सभी नाटो सैनिकों को काबुल छोड़ना है। ब्रिटेन और जर्मनी अपने सारे जवानों को यहां से निकाल चुका है। तुर्की भी इसको लेकर अंतिम कवायद कर रहा है। अमेरिका के भी अब कुछ ही नागरिक यहां पर बचे हैं। भारत भी जल्द से जल्द यहां से अपने और देश छोड़ने की इच्छा रखने वाले नागरिकों को निकालने का प्रयास कर रहा है।
इस बीच ब्रिटेन, अमेरिका, तुर्की, ग्रीस और कनाडा में तालिबान के विरोध में हर रोज विरोध प्रदर्शन हो रहा है। विरोध करने वालों में वहां पर बसे अफगानी नागरिक, शरणार्थी शामिल हैं। इन लोगों की मांग है कि तालिबान के चंगुल से अफगानिस्तान को बचाया जाए। ये लोग ये भी मांग कर रहे हैं कि विश्व स्तर पर कार्रवाई कर तालिबान को खत्म किया जाना चाहिए। इन लोगों को अपने देश और वहां पर मौजूद लोगों की चिंता सता रही है।